भारत सरकार Government of India
एमएसएमई-विकासकार्यालयMSME-Development & Facilitation Office

एमएसएमई की नई परिभाषा

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को संक्षिप्त में एमएसएमई(MSME) कहा जाता है। एमएसएमई दो प्रकार के होते हैं। मैनुफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन करने वाली इकाई। दूसरा है सर्विस एमएसएमई इकाई। यह मुख्य रुप से सेवा देने का काम करती हैं। हाल ही में सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा बदली है। नए बदलाव के निम्न श्रेणी के उद्यम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में आएंगे।

सूक्ष्म उद्योग: सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत रखा अब वह उद्यम आते हैं जिनमें एक करोड़ रुपये का निवेश (मशीनरी वगैरह में) और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो। यहां निवेश से मतलब यह है कि कंपनी ने मशीनरी वगैरह में कितना निवेश किया है। यह न्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होता है।

लघु उद्योग: उन उद्योगों को लघु उद्योग की श्रेणी में रखते है जिन उद्योगों में निवेश 10 करोड़ और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक है। यह निवेश और टर्नओवर की सीमा मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर में लागू होती है।

मध्यम उद्योग: मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के ऐसे उद्योग जिनमें 50 करोड़ का निवेश और 250 करोड़ टर्नओवर है वह मध्मम उद्योग में आएंगे । इससे पहले वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर पैकेज का ऐलान करते हुए एमएसएमई की परिभाषा बदली थी। वित्त मंत्री ने 20 करोड़ रुपये का निवेश और 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर वाले उद्यमों को मध्यम उद्योग में रखा था। लेकिन उद्यमी सरकार के इस नए बदलाव से भी खुश नहीं था। इसके बाद 1 जून 2020 को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने उद्यमियों की मांग को पूरा करते हुए यह बदलाव किया है। अब मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के ऐसे उद्योग जिनमें 50 करोड़ का निवेश (मशीन और यूनिट लगाने का खर्च आदि) और 250 करोड़ टर्नओवर है वह मध्मम उद्योग में आएंगे।

एमएसएमई-विकास कार्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली मुख्य सेवाएँ हैं:

  • सरकार की एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित सेवाएँ और योजनाएँ प्रदान करना।
  • भारत की एमएसएमई को तकनीकी-आर्थिक और प्रबंधकीय परामर्श, सामान्य सुविधाएं और विस्तार सेवाएं प्रदान करना।
  • प्रौद्योगिकी उन्नयन, आधुनिकीकरण, गुणवत्ता सुधार और बुनियादी ढांचे के लिए सुविधाएं प्रदान करना।
  • प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन के माध्यम से मानव संसाधन का विकास करना।
  • एमएसएमई के प्रचार और विकास के लिए नीति निर्माण में सरकार को सलाह देना।
  • आर्थिक सूचना सेवाएँ प्रदान करना।
  • केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, वित्तीय संस्थानों और एमएसएमई के विकास से संबंधित अन्य संगठनों के साथ घनिष्ठ संपर्क बनाए रखना।
  • बड़े उद्योगों के सहायक के रूप में एमएसएमई के विकास के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का विकास और समन्वय करना।